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समाज में आए दिन अनेकों वाद विवाद की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलतीं हैं तो वहीं पर अधिकारी वर्ग को भी पड़ताल करने में असुविधा उत्पन्न होती है। हिंदी साहित्य जगत की एक मशहूर कहावत का याद आना लाजमी है ‘चिराग तले अंधेरा होना’….
ऐसा ही मामला जनपद महोबा के विकासखंड चरखारी के अंतर्गत आने वाले ग्राम चंदौली का है जहां पर खुली बैठक को वार्ड मेंबरों और कुछ ग्रामीणों द्वारा बहिष्कार कर विफल कर दिया गया….
ग्राम पंचायत चंदौली में ग्राम प्रधान पर आरोप प्रत्यारोपों की बौछार कर दी ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी जमीन पर प्रधान जी महोदय अवैध रूप से स्वयं का निर्माण करा रहे हैं और स्वयं ही अवैध कब्जा जमाए हुए हैं तो वहीं पर प्रधान महोदय का कहना है कि इस जमीन पर कोई अवैध कार्य नहीं चल रहा.. यहां पर समाज हित में कार्य किया जा रहा है प्रधान जी का कहना है कि इस ग्राम समाज की जमीन पर ग्राम के विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय एवं व्यायाम शाला का निर्माण कराया जा रहा है तथा नारी सशक्तिकरण के लिए स्वयं सहायता समूह हेतु सरकारी कार्यालय का निर्माण हो रहा है….
एक कहावत तो आपने और सुनी होगी ‘जाके पांव न फटी बिंवाई वो क्या जाने पीर पराई’… इस संदर्भ में ग्राम की एक महिला ने प्रधान जी पर आरोप लगाया कि उन्होंने उसका स्वयं का निजी मकान ध्वस्त कर दिया और रहने के लिए कोई आवास भी नहीं है तो वहीं पर प्रधान जी का कहना है कि वहां पर अवैध रूप से कब्जा था जो एंटी भू माफिया के तहत राजस्व विभाग द्वारा हटाया गया जिसमें मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं है।
इस खुली बैठक में ग्राम प्रधान के साथ राजस्व लेखपाल और संबंधित ग्राम लेखपाल एवं पुलिस प्रशासन मौजूद रहा…
खुली बैठक में प्रधान जी एवं अधिकारीगणों एवं प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के समक्ष पुस्तकालय व्यायाम शाला एवं नारी स्वयं सहायता समूह कार्यालय के संदर्भ में प्रस्ताव रखा गया लेकिन ग्रामीणों ने असहमति जताते हुए इस प्रस्ताव को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया तथा खुली बैठक का बहिष्कार किया।
हिंदी साहित्य जगत की एक और कहावत आपने सुनी होगी “आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास”… इस संदर्भ में खुली बैठक में मौजूद अधिकारी वर्ग भी ग्रामीणों को समझाने में विफल रहे और हताश होकर अपने कार्यालय की ओर अग्रसर हो गए…!!!!!
ब्यूरो रिपोर्ट
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