KHABAR MAHOBA News
किसानों के मसीहा कहे जाने वाले मोदी सरकार और योगी सरकार ने किसानों के ऊपर आखिर चाबुक चला ही दिया….
जय जवान जय किसान का नारा हुआ विफल…
सरकार का किसानों के प्रमुख संसाधन ट्रैक्टर के चालान संबंधित जो आदेश जारी किया गया है वह किसान हितैषी हो ही नहीं सकता…
कृषि संबंधी रोजगार के लिए ट्रैक्टर किसान का सच्चा साथी होता है तो वही ट्रैक्टर के बल पर ही किसान अपनी जमीन पर फसल उगा कर देश की जनता का भरण पोषण करता है….
किंतु सरकार की मंसा किसानों के डूबते कर्ज से उबारने के लिए तो दूर…!! बल्कि किसान को किसानी करने से ही वंचित करने का खाका तैयार कर लिया है….!!!
क्योंकि सन 1992 में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री रहे श्री कल्याण सिंह जी ने कृषि संसाधन ट्रैक्टर को पूरे देश में चालान रहित बनाया था ताकि किसान अपनी उपज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाए और अच्छे दामों पर भेज पाए किंतु वर्तमान सरकार किसानों को मजबूरन क्षेत्रीय साहूकार एवं आरोपियों को बेचने पर मजबूर कर रही है….!!!
क्योंकि सरकार क्षेत्रीय मंडियों में सरकारी दुकानों को सभी उपज के लिए खुलवाना तो दूर उन पर कार्यवाही तक नहीं करना चाहते क्योंकि उन मंडियों में जांच करने वाले अधिकारियों की जेब गर्म की जाती हैं और अधिकारी मंडियों की जांच से कोसों दूर रहते हैं और मंडी कर्मी किसानों को नोच नोच कर अपने मनमाने दामों पर किसानों की फसल की खरीद फरोख्त करती है…..
दूसरी ओर बुंदेलखंड के क्षेत्र में सूखा और अतिवृष्टि के कारण हमेशा फसलें नष्ट होती रहते हैं कभी अकाल पड़ता है तो किसान दाने-दाने को मोहताज हो जाता है तो वहीं दूसरी ओर अतिवृष्टि के कारण किसानों को उपज का एक भी दाना घर तक नहीं ले जा पाता….!!!
किसान अपनी फसल को बर्बाद होने से बचाने के लिए दूरदराज क्षेत्रों से मजदूर ट्रैक्टर के जरिए ही लेकर आता है ताकि वह अपने फसल को सुरक्षित अपने घर तक ले जा सके किंतु सरकार के इस फरमान से किसानों की फसल पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ने वाला है….!!!
रही बात यातायात के क्षेत्र में तो किसान कृषि संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ही ट्रैक्टर का उपयोग करता है, जबकि सैकड़ों डग्गामार वाहनों द्वारा आए दिन दुर्घटना देखने को मिलते हैं फिर भी वह डग्गामार साधन आसानी से छूट जाते हैं और उस पर प्रशासन कोई भी कार्यवाही नहीं करता….!!!
हर क्षेत्र में डग्गामार वाहनों में परमट के अतिरिक्त 4 गुना 5 गुना सवारी बैठाकर प्रशासन के कर्मचारियों के सामने से ले जाया जाता है और प्रशासन अपनी जेब गर्म करने के लिए ताकते रहते हैं…..
क्योंकि साहब के चाय पानी और घर के खर्चे का इंतजाम वो डग्गामार वाहन के खिलाड़ी ही करते हैं…!!!???
वैसे ही किसान अपनी गरीबी एवं कुदरत की मार से खुद परेशान हैं तो वह है अपने प्रमुख वाहन ट्रैक्टर के चालान के लिए ₹10000 का जुर्माना भरने के लिए दर-दर की ठोकरें खाता ही फिरेगा…!!!
क्योंकि पुलिस प्रशासन के पास अगर यह अधिकार आ गया तो वह आए दिन अपने घर के खर्चे के लिए किसानों पर ही हंटर एवं चाबुक चलाती रहेगी…!!!
इस सरकारी फरमान के कारण किसान दिव्यांग होता चला जा रहा है क्योंकि ट्रैक्टर ही किसान का सच्चा जीवन साथी है और ट्रैक्टर के कारण ही किसान उबड़ खाबड़ रास्तों पर आसानी से गुजर कर अपने खेतों एवं कृषि क्षेत्रों तक पहुंच सकता है…!!!!
ब्यूरो रिपोर्ट खबर महोबा