Breaking NEWS
Wed. Mar 12th, 2025

251 कन्याओं के सामूहिक विवाह से बागेश्वर धाम ने रचा इतिहास

बागेश्वर धाम, छतरपुर:
फरवरी 2025 की शिवरात्रि बागेश्वर धाम में एक ऐतिहासिक क्षण लेकर आई, जब यहां 251 निर्धन और असहाय कन्याओं का सामूहिक विवाह समारोह धूमधाम से संपन्न हुआ। इनमें से 108 बेटियां आदिवासी समाज से थीं और 143 अन्य सनातनी समाजों से, जो अपने नए जीवन की शुरुआत पर आशा और उल्लास से भरपूर नजर आईं।

धर्म पिता बने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें इन बेटियों ने ‘धर्म पिता’ का दर्जा दिया है, ने एक बार फिर अपने मंच से घोषणा की, “जब तक हमारे तन में प्राण रहेंगे, तुम बिना मां-बाप के नहीं हो।” उनकी इस घोषणा से उन बेटियों के चेहरों पर मुस्कान आ गई, जिनके जीवन में कठिनाइयों और चुनौतियों की भरमार थी।

गरीबी की पीड़ा से उपजा संकल्प

इस महान संकल्प की शुरुआत शास्त्री जी ने अपनी निजी पीड़ा से प्रेरित होकर की थी। अपनी बहन के विवाह में गरीबी और कठिनाइयों का सामना करने के बाद उन्होंने प्रण लिया था कि वे अपनी सामर्थ्य से अधिक से अधिक असहाय बेटियों के विवाह करवाएंगे। उनके इस संकल्प को पूरा करने में बागेश्वर धाम शिष्य मंडल और देशभर के सनातनी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं।

वर्षों से चल रहा महायज्ञ

यह सामूहिक विवाह महायज्ञ वर्ष 2019 में 17 बेटियों के विवाह से प्रारंभ हुआ था। महामारी के कारण 2020 में यह आयोजन स्थगित रहा, लेकिन 2021 में फिर से 21 बेटियों के हाथ पीले किए गए। इसके बाद, 2022 में 108, 2023 में 125, और 2024 में 1257 कन्याओं का विवाह संपन्न हुआ। इस वर्ष, 2025 में, 251 बेटियों के नवजीवन की शुरुआत हुई।

अब तक, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री लगभग 1100 बेटियों के धर्म पिता बन चुके हैं। उनके इस संकल्प ने न केवल असहाय निर्धन मातृ-पितृहीन बेटियों के सपनों को पूरा किया है, बल्कि समाज में एक नई प्रेरणा का संचार किया है।

दान की नई परिभाषा

बागेश्वर धाम में आने वाला चढ़ावा केवल आस्था का प्रतीक नहीं रहा, बल्कि इसने मानवता की सेवा का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। यहां की दान पेटी में आई धनराशि से असहाय बेटियों के घर बसाए जा रहे हैं, जिससे यह स्थान सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सेवा का केंद्र बन चुका है।

विश्व गुरु की चेतना का भारत

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का मानना है, “जिस दिन देश के सभी मठ-मंदिर अपनी दान पेटियों से निर्धन, दीन-हीन, बिछड़े, पिछड़े और असहाय लोगों की सहायता करने लगेंगे, उस दिन भारत फिर से विश्व गुरु की चेतना का केंद्र बन जाएगा।”

समाज को दिया नया संदेश

इस आयोजन ने यह संदेश दिया है कि धर्म के केंद्र न केवल आस्था के स्थान हो सकते हैं, बल्कि समाज को एकजुट और सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

बागेश्वर धाम की महिमा

श्री हनुमान जी के पावन स्थल बागेश्वर धाम में लोग अपने दैविक और भौतिक कष्टों का निवारण कराने आते हैं और यहां से सुख और शांति का अनुभव लेकर लौटते हैं। यह स्थान केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि सेवा और मानवता की मिसाल बन चुका है।

राम राम जय राम…

समारोह का समापन “राम राम जय राम, राम जय राम” के भक्ति गीतों से हुआ, जो श्रद्धालुओं के हृदय में आस्था और भक्ति का संचार करते रहे।

बागेश्वर धाम की जय हो!

Related Post