दीपावली (DEEPAWALI), जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारत का प्रमुख और सबसे बड़ा त्योहार है। यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है।
2025 में, दीपावली (DEEPAWALI) का मुख्य दिन 20 अक्टूबर, सोमवार को है। इस दिन को लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर शुरू होकर 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 23 मिनट से रात 8 बजकर 27 मिनट तक है, जिसकी अवधि 1 घंटा 4 मिनट की है।

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दीपावली(DEEPAWALI) के पांच दिनों का विवरण इस प्रकार है:
- धनतेरस (17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार): इस दिन धन और आरोग्य के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है। लोग नए बर्तन, आभूषण और अन्य मूल्यवान वस्तुएं खरीदते हैं।
- नरक चतुर्दशी (19 अक्टूबर 2025, रविवार): इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन नरकासुर राक्षस के वध की कथा से जुड़ी परंपराएं निभाई जाती हैं।
- दीपावली (20 अक्टूबर 2025, सोमवार): मुख्य पर्व, जब मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और घरों में दीप जलाए जाते हैं।
- गोवर्धन पूजा (21 अक्टूबर 2025, मंगलवार): इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का स्मरण किया जाता है।
- भाई दूज (22 अक्टूबर 2025, बुधवार): इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
दीपावली (DEEPAWALI) का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय, बुराई पर अच्छाई की जीत और जीवन में खुशियों के आगमन का प्रतीक है। इस अवसर पर घरों की सफाई, सजावट, दीप प्रज्वलन, मिठाइयों का वितरण और पटाखों का आनंद लिया जाता है।
दीपावली (DEEPAWALI) पूजा विधि (Lakshmi Poojan Vidhi)
दीपावली (DEEPAWALI) का पर्व सुख, समृद्धि और खुशियों का प्रतीक है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यहां लक्ष्मी पूजन की विस्तृत विधि दी गई है, जिसे आप अपने घर में पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ कर सकते हैं।
पूजा स्थल की तैयारी:
- पूजा के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) या उत्तर दिशा का चयन करना सबसे शुभ माना जाता है।
- पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहां स्वास्तिक बनाएं।
- लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक चौकी रखें।
- चौकी पर एक मुट्ठी अनाज बिछाकर उसके ऊपर लक्ष्मी-गणेश और कुबेर जी की मूर्तियां रखें।
- ध्यान रहे कि माता लक्ष्मी की मूर्ति गणेश जी के दाहिने ओर होनी चाहिए।
- गंगाजल का छिड़काव करके पूजा स्थल और सभी मूर्तियों को शुद्ध करें।
कलश स्थापना:
- चौकी पर रखे अनाज के बीच में पानी से भरा कलश रखें।
- कलश में निम्न सामग्री डालें:
- सुपारी
- गेंदे का फूल
- सिक्का
- चावल के कुछ दाने
- कलश के ऊपर आम के पत्ते सजाएं और उसके ऊपर नारियल रखें।
- नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश पर रखें। यह संपन्नता और समृद्धि का प्रतीक है।
दीपावली पूजन क्रम:
1. गणेश पूजन:
- सबसे पहले पीले फूल हाथ में लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें।
- उन्हें अक्षत (चावल) लगाकर प्रसाद अर्पित करें।
- गणेश मंत्र का जाप करें:
|| ॐ गण गणपतये नमः ||
2. लक्ष्मी पूजन:
- इसके बाद मां लक्ष्मी की पूजा आरंभ करें:
- रोली और चावल से तिलक करें।
- लक्ष्मी जी के नाम से दीपक जलाएं, जिसे रात भर जलाकर रखना शुभ माना जाता है।
- मां लक्ष्मी को अर्पित करने वाली सामग्री:
- फूल (विशेषकर कमल के फूल)
- धूप
- मिठाई
- धनिया के बीज
- कपास के बीज
- सूखी साबुत हल्दी
- चांदी का सिक्का
- रुपये
- सुपारी
- लक्ष्मी मंत्र का जाप करें:
|| ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः ||
3. कुबेर पूजन:
- धन के देवता कुबेर की पूजा करें और उन्हें चावल, फूल, और धन अर्पित करें।
- कुबेर मंत्र का जाप करें:
|| ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः ||
4. आरती और भोग:
- मां लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें।
- आरती के बाद मिठाई का भोग लगाएं और धूप-दीप दिखाकर पूजा का समापन करें।
- सभी परिवारजन प्रसाद ग्रहण करें और दीपमालिका जलाएं।
दीपावली(DEEPAWALI) का महत्व और पौराणिक कथा:
- दीपावली (DEEPAWALI), जिसे दिवाली भी कहा जाता है, अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है।
- पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम जब 14 वर्ष के वनवास और रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या लौटे थे, तो उनके स्वागत में नगरवासियों ने घी के दीपक जलाकर घरों को प्रकाशमय किया।
- तभी से अमावस्या की इस रात को प्रकाश के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
- इसके साथ ही, मां लक्ष्मी के पृथ्वी पर आगमन और भक्तों को धन, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देने की मान्यता है।
- इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने से धन-धान्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
दीपावली (DEEPAWALI) का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व:
- दीपावली (DEEPAWALI) केवल धार्मिक उत्सव ही नहीं, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है:
- घरों की सफाई और सजावट से स्वच्छता का संदेश मिलता है।
- मिठाइयों का वितरण और आपसी मिलन भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देता है।
- दीप जलाने की परंपरा अंधकार को दूर करने और ज्ञान के प्रकाश को फैलाने का प्रतीक है।
निष्कर्ष:
दीपावली का पर्व प्रकाश, समृद्धि, और खुशियों का प्रतीक है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करके धन, वैभव, और सुख-शांति की कामना की जाती है। इस शुभ अवसर पर आप भी अपने घर में लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि का पालन करके समृद्धि और खुशियों को आमंत्रित करें।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
शुभ दीपावली!