कुलपहाड़- ( कुलपहाड़ रेलवे स्टेशन के समीप जंगल में स्थित धन्य साईं दाता का चमत्कारिक एवं रहस्य मई आश्रम )- धन्य साईं दाता महंत जी जिनका आगमन सन 1930 में कुलपहाड़ रेलवे स्टेशन के पास स्थित मोहनताल ज़रान
की पहाड़िया में हुआ जिनके द्वारा कड़ी मेहनत व लगन के परिणामस्वरुप एक भव्य एवं सुंदर आश्रम का निर्माण हुआ जिसके बारे में बताया जाता है कि उस समय रेलवे स्टेशन कुलपहाड़ में ठहरने कि विवस्था ना होने के कारण रेलवे कर्मचारी भी उन
के आश्रम की शरण लिया करते थे। यह आश्रम आज भी मानो ऐसा प्रतीत होता है जैसे की अभि हाल ही में कुछ सालों पहले बनाया गया हो आज भी इस स्थान पर उनकी समाधी एवं स्मृति चिन्ह रखें हुए है। धन्य साईं दाता जी की जन्मस्थली क्योंलाह जिला हमीरपुर बताई गई है।
वर्तमान में उनके शिष्य जो इस आश्रम में 25 फरवरी 2020 से आश्रम की देखरेख व तपस्या में लीन है। जिनके द्वारा अपने गुरु के बारे में अवगत कराया कि हमारे परमपूज्य गुरु महाराज जी ने कभी भी किसी के दरवाजे पर जाकर दान या भिक्षा नहीं मांगी बल्कि जो भी दान भक्तों की स्वेक्षा अनुसार आश्रम में आया उस दान से दाता जी ने भंडारा करवाये उनके बारे में यह तक बताया गया कि सन 1985 में रेलवे स्टेशन कुलपहाड़ में ट्रेनो के ठहराव ना होने के वावजूद भी उन्होंने भंडारे के प्रसाद वितरण हेतु ट्रेन रुकवाई और सभी यात्रियों को प्रसाद वितरित करवाया।
धन्य साईं दाता जी ने भक्ति भाव में सरावोर होकर सन 1986 दिन शनिवार को अपने आश्रम में समाधि ले ली।इसके बाद कई संत महात्मा इस आश्रम में आये और भक्ति की लेकिन वर्तमान समय में आश्रम की देखरेख, भक्ति एवं पूजा – पाठ,प्रवचन आदि का जिम्मा रनमत शाह जी महाराज संभाले हुए है। रनमत शाह जी एक तपस्वी साधु संत की भूमिका में रहते है, जिनके दरवार में तमाम दूर -दराज जैसे कि ग्वालियर, झाँसी, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, बाँदा आदि के लोग अपनी अपनी मन्नत व मुरादें लेकर आते और सभी भक्तों की मनोकामनाओ को पूरा करते है।
आश्रम से जुडी हुई रोचक अदभुद एवं रहस्य मई जानकारी संत शाह जी ने यह बताई है कि मैंने स्वयं अपनी आँखों से तीन से चार बार नांगमणि धारण किये हुए पांच फन वाले नांग देवता के दर्शन रात्रि में लगभग एक से डेढ़ बजे के बीच किये और उसी दौरान भयंकर चमकदार मणि की रोशनी भी उत्पन्न होते हुए देखी यह वक्तव्य उनके मुख् से सुनकर आज आश्रम में मौजूद भक्तगण जो होली के उपलक्ष्य में संत रनमत शाह जी के साथ भंडारा कर प्रसाद ग्रहण कर रहे थे एवं इसके बाद होली मिलन का त्यौहार रंग लगाकर एवं भजन कीर्तन के माध्यम से मना रहे थे तभी यह रहस्य सुनकर सभी मौजूद लोगों की आँखे खुली रह गई क्योंकि वहां पर उपस्थित भक्तों का कहना था कि ऐसा चमत्कारिक आश्रम जिसके बारे में हम लोग अनभिज्ञ और अनजान बने हुए थे।
KHABAR MAHOBA News