तीन साल पहले तक मैं इन्हें गूंगा कहकर गालियाँ देता था क्योंकि

By FREE THINKER Sep 27, 2021

कहानी पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी की

26 सितंबर को पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी का जन्मदिन था। आज से दो तीन साल पहले तक मैं इन्हें गूंगा कहकर गालियाँ देता था क्योंकि गालियां देने का कारण था इंटरनेट पर मौजूद वो चमत्कारिक ज्ञान जिसे मैंने पड़ा था। उदाहरण के लिए 👇

  • मनमोहन_की_सरकार आजतक की सबसे भ्रष्ट सरकार थी।
  • मनमोहन राहुल सोनिया के गुलाम थे।
  • नेहरू ने कुछ नहीं किया वो सिर्फ सुंदर महिलाओं के साथ रात बिताते थे।
  • एक मुस्लिम की संतान (रियल में पारसी की) राजीव गांधी 71 के युद्ध के वक्त बीवी बच्चों के साथ इटली भाग गए थे, क्योंकि एक नियम के तहत उन्हें युद्ध में भाग लेना पड़ जाता (मुझे बाद में पता चला कि वो सामान्य पायलट थे न कि युद्धक विमानों के और ऐसा कोई नियम नहीं कि एक सामान्य प्लेन के पायलट से फाइटर प्लेन उड़वाया जाए)

2014 में एक प्रेस कांफ्रेंस में मनमोहन सिंह ने कहा था कि मेरा मूल्यांकन इतिहास करेगा। बेशक करेगा और विरोधी IT सेल ने जो जहर उनके खिलाफ छिड़का है उसका आकलन मैं और आप लोग करेंगे, जनता करेगी।

आज मोदीजी रैलियों में रोते हैं और बताते हैं कि फलाने ने मुझे कुत्ता कहा, सुअर कहा, ढिमकाने ने मुझे बिल्ली कहा, बिल्ली का गूं कहा।गालियां मनमोहन जी को भी कम नहीं पड़ी थी लेकिन शायद ही उन्होंने कभी इसका जिक्र किया हो। वे खामोशी से काम करते रहे, कभी पलट के गाली तो दूर जवाब भी नहीं दिया। हाथी चला बाजार कुत्ते भोंके हजार।

मात्र 15 साल की उम्र में बंटवारे का दंश झेलकर अपनी जन्मभूमि, आज के पाकिस्तान के चकवाल जिले के गाह गांव से घरबार, खेत आदि सबकुछ छोड़कर अमृतसर में बसने वाले मनमोहन जी का बचपन बेहद तंगहाली एवं गरीबी में गुजरा था। बचपन में ही मां गुजर गई, बंटवारे की आपाधापी में पिता खो गए। ऐसा सुनकर सौतेली माँ पागल हो गई, दादी ने पाला-पोसा, दीपक की रोशनी में पढ़ाई करी, दिमाग इतना तेज कि पंजाब यूनिवर्सिटी से कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड तक का सफर स्कॉलरशिप के दम पर तय किया। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी,केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में उनके नाम से स्कॉलरशिप दी जाती है। वे योजना आयोग के अध्यक्ष, आर्थिक सलाहकार, वित्तमंत्री, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर और 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्हें अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। विदेशों में उनकी छवि एक महान विद्वान व्यक्ति की है।

लेकिन इन्होंने कभी अपनी गरीबी का रोना नहीं रोया। नहीं रोये कि उनकी माँ बचपन में ही मर गई थी। उन्होंने बंटवारे के वक्त की कोई फ़िल्म सरीखी कहानी नहीं सुनाई, वे छोटी सी जनसंख्या वाले अल्पसंख्यक सिक्ख समाज से आते हैं लेकिन कभी ढिंढोरा नहीं पीटा। ऑफिस में पेंडिंग रह गया काम वे घर जाने के बाद भी करते रहे लेकिन कभी ये अफवाह नहीं फैलाई कि वो 18 – 18 घण्टे काम करते हैं। उन्होंने कभी भी इन बातों घटनाओं का सियासी फायदा लेने की कोशिश नहीं करी।

जनवरी 2014 की प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने एक और बात कही थी, – “मैं समझता हूं कि स्पेक्ट्रम का आवंटन और भी पारदर्शी होना चाहिए था, कोयला आवंटन नीलामी के हिसाब से आवंटित होना चाहिए था।मीडिया आज विपक्ष के हिसाब से चलता है। मैं नहीं कहता कि अनियमितता नहीं हुई, हुई है पर इसे बहुत बढ़ा-चढ़ाकर लिखा गया मीडिया में।

मनमोहन जी की बातें आज सत्य सिध्द हो रहीं है। 2 G, कोल आवंटन वगैरह में एक के बाद एक सभी आरोपी बरी होते जा रहे हैं। सनद रहे कि ये अनियमितताएं मीडिया और CAG के थ्रू उजागर हुई थी। अगर मनमोहन जी जरा सा भी डंडा चलाते तो CAG को आज की तरह चुप कराया जा सकता था, और मीडिया से तो अपने जूते चटवाए जा सकते थे। लेकिन उनके कुछ अलग उसूल थे, इनके कुछ अलग ही उसूल हैं।

आज मनमोहन जी मुझे कतई भ्रष्ट सरकार के मुखिया नहीं लगते क्योंकि उन्होंने अपने ही मंत्रियों को जेल भेजा था। प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों के तीखे सवालों के जवाब देने वाले को कैसे मैं गूंगा कह दूं?

वे राहुल सोनिया के गुलाम भी नहीं थे/नहीं हैं, क्योंकि #अम्बानी_अडानी_के_गुलाम_की_हकीकत देखकर समझ आ रहा है कि पूंजीपतियों की गुलामी और लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष के प्रति सम्मान में बहुत फर्क होता है.।

डॉ मनमोहन सिंह जी को उनके 89th जन्मदिवस की दिल से बधाई।

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