जामिया इस्लामिया दारुल उलूम मदरसा ने प्रशासन के अधिकारियों को नहीं दिखाए अपने 10 कमरे खोल कर।
बजरिया के प्रेम नगर मे जामिया इस्लामिया दारुल उलूम मदरसे से बीते रोज 3 बच्चे कानपुर के लिए बिगर बताएं भाग गए थे। जिसको लेकर मदरसा प्रबंधक से अल्पसंख्यक विभाग अधिकारी हिमांशु गुप्ता ने जिला अधिकारी के आदेश पर मदरसा प्रबंधक से पूछताछ की तो मदरसा प्रबंधक घबरा गए और बंद कमरों को खोलने के लिए मना कर दिया और तो और वह मदरसा छोड़ कर भाग गए और अधिकारी तमाशा देखते रह गए जिससे उन सभी बंद कमरों को नहीं खोला जा सका कुछ देर इंतजार करने के बाद सभी अधिकारी खाली हाथ वापस लौट आए वही जिले के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने सभी 33 मदरसों की जानकारी हासिल की तो 13 मदरसे जिले में बगैर मान्यता प्राप्त कई सालों से निरंतर चल थे जिस पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अधिकारी ने नाराजगी जताते हुए उनको नोटिस भेजने का प्रस्ताव किया।
गौरतलब हो कि जिले में 33 मदरसे अल्पसंख्यक विभाग में दर्ज है जिनका संचालन सरकार की देखरेख में चल रहा है पर इन्हीं मदरसों की सरपरस्ती मैं महोबा जिले में 13 मदरसे बगैर मान्यता के चलाए जा रहे है जबकि सरकार के द्वारा 33 मदरसे पहले से जिले में चलाए जा रहे हैं इतनी तादाद पर महोबा जिले में इस्लाम धर्म की तालीम के लिए इतने मदरसे क्यों बनाए जा रहे हैं और तो और इन मदरसों में दूसरी प्रदेश के बच्चे लाकर पढ़ाऐ जा रहे हैं जिनकी संख्या जिले के सभी मदरसों में देखी जाती है वही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अधिकारी ने मदरसों के बच्चों से देश के प्रधानमंत्री का नाम पूछा तो बच्चे देश के प्रधानमंत्री का नाम नहीं बता पाए यहां तक की उन्होंने मुख्यमंत्री का नाम भी पूछा तो बच्चे नहीं बता पाए आखिर कौन सी शिक्षा इन मदरसों पर पढ़ाई जाती है। जो देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुखिया का नाम जिले प्रशासन के अधिकारियों के सामने ना बता पाए जिससे मदरसा प्रबंधकों के ऊपर अल्पसंख्यक विभाग अधिकारी ने नाराजगी जाहिर करते हुए मदरसों को सील कर एफ आई आर दर्ज कराने के लिए कहा।
वही हम आपको बता दें कि जिले में तमाम खुफिया एजेंसी काम कर रही है पर मजाल है कि एक भी खुफिया एजेंसी के पास यह तेराह मदरसे वर्षों से संचालित होते रहे और उनकी जानकारियां इनके पास उपलब्ध हो वही अगर जिले के जामिया इस्लामिया दारुल उलूम के मदरसे से 3 बच्चे कानपुर के लिए नहीं भागते तो महोबा जिले का खुफिया तंत्र और अल्पसंख्यक विभाग अपनी गहरी निंद्रा में यूं ही सोता रहता और जिले में बगैर मान्यता के तमाम मदरसे खुल जाते और संचालित होते रहते हैं।
क्योंकि जिस मदरसे से बच्चे कानपुर के लिए भागे उस मदरसे के 10 कमरों के ताले नहीं खोले गए ,आखिर क्यों, कहीं ना कहीं इन कमरों का कनेक्शन किसी बड़े मामले की ओर संकेत तो नहीं कर रहे।
वहीं सूत्रों की माने तो जिले के तमाम मदरसों में बच्चे बहुत कम है पर इमारतों और कमरे इतने अधिक बनाए गए की आठ से 10 हजार बच्चे आसानी से इन मदरसों में पढ़ सके और इस्लाम की तालीम हासिल कर सके पर आज इन मदरसों में साठ से 70 बच्चे पढ़ रहे हैं और निरंतर मदरसे को बनाया जा रहा है आखिर इतना पैसा कहां से आ रहा है इसकी जानकारी जब अल्पसंख्यक विभाग अधिकारी ने मांगी तो उन्होंने हवाला सऊदी अरब का खैरात फाउंडेशन के नाम का बताया आखिर खैरात फाउंडेशन इन मदरसों को धन मुहैया करा क्यों रहा है वहीं कहीं ना कहीं तो सरकार को चूना लगाने का काम मदरसा संचालन के लोग बड़े आसानी से कर्ज़ रहे हैं वही जब मदरसों के बंद कमरों का ताला खोलने को अधिकारियों ने कहा तो मदरसा प्रबंधक क्यों भाग गए हैं आखिर इसके पीछे कहीं ना कहीं इनकी कमजोरियां उजागर होती है जो देश हित के लिए बिल्कुल भी नहीं है वही आज विश्व हिंदू बजरंग दल ने उप जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर अवैध मदरसों को बंद करने के लिए ज्ञापन के रूप में जोर दिया वही उन्होंने ज्ञापन में उन्होंने कहा कि यह धर्म के नाम पर और खैरात का बहाना कर इतना धन कहां से संचालन हो रहा है इसकी भी जांच जिला प्रशासन को करना चाहिए कहीं पर भी अगर प्रशासन को गड़बड़झाला दिखाई देता है तो बिगर मानता प्राप्त चल रहे मदरसों की संपत्ति जप्त कर कानूनी कार्यवाही कर मदरसों को बंद करें दिया जाए वही ज्ञापन के दौरा तमाम विश्व हिंदू बजरंग दल के कार्यकर्ता मौजूद रहे
- गैर मान्यता 13 मदरसे प्रशासन की नाक के नीचे वर्षों से संचालित थे, खुफिया तंत्र और आला अधिकारी रहे गहरी निंद्रा में।
- करोड़ों की संपत्ति अर्जित की इन मदरसा प्रबंधकों ने सऊदी अरब खैरात फाउंडेशन के नाम का दिया हवाला।
- मदरसे में 60 से 70 बच्चे है, बनाया गया मदरसा दस हजार बच्चों के लिए, इतना धन कहां से।
- विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मांग की जिले के अधिकारियों से सभी अवैध मदरसे किए जाएं बंद।