पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किये जा रहे लाखों रुपए खर्च, विकास के नाम पर कागजों में हो रही हेराफेरी, बंदरबांट अभी भी जारी

KHABAR MAHOBA NEWS

*पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर हो रहा है लाखों रुपया खर्च*

*पुरातत्व विभाग की गाइडलाइन के आधार पर ,पीडब्ल्यूडी द्वारा किया जा रहा है काम सूर्य मंदिर में*

*महोबा जिले का पुरातत्व विभाग बना सफेद हाथी*

*पुरातत्व विभाग की जमीनों में किया भू माफियाओं ने कब्जा*

*पुरातत्व विभाग के ज्यादातर काम चल रहे हैं कागजों पर धरातल पर नहीं*

*सूर्य मंदिर को सजाने और संवारने के लिए किया जा रहा है लाखों रुपया खर्च पर्यटन को बढ़ावा देने का उद्देश्य*

*आला अधिकारियों के आदेशों के बावजूद भी नगरपालिका का अस्थायी नाव ठेका अभी तक नहीं किया गया निरस्त*

*पुरातत्व विभाग मूक दर्शक बना देख रहा आज भी तमाशा*

*पहले जारी किया नोटिस “नाव ठेका बंद कराने का” बाद में परिवार सहित निकल पड़े नाव की सैर पर*…!!!!!

*बुंदेलखंड के महोबा जिले में बुंदेली राजाओं के द्वारा सूर्य मंदिर का निर्माण हजारों वर्ष पूर्व करवाया गया था जिसको एक विदेशी अक्रांता द्वारा तोड़ दिया गया था बाद में पुरातत्व विभाग के संरक्षण में सूर्य मंदिर की देखरेख के लिए दो गार्ड नियुक्त किए गए, परन्तु पुरातत्व विभाग ने सूर्य मंदिर के संरक्षण के लिए सरकार के आए हुए धन का कभी भी उपयोग नहीं किया सूर्य मंदिर को सजाने और संवारने के लिए, जिससे आज भी सूर्य मंदिर के टूटे हुए अवशेष चीख चीख विदेशी आक्रांता की क्रूरता की गवाही दे रहा है*

*गौरतलब हो कि जिला अधिकारी द्वारा सूर्य मंदिर को सजाने और संवारने का काम पर्यटन की दृष्टि से निरंतर किया जा रहा है यहां तक की लाखों रुपए की लाइटों को सूरमंदिर को दूधिया रोशनी में सजाने और संवारने लिए खर्च किया गया है वही पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते जिले में तमाम मठ और मंदिर आज भी अच्छी हालत पर मौजूद है पर पुरातत्व विभाग मठ और मंदिर की देखरेख के लिए लगाए गए गार्ड कहीं भी नजर नहीं आते हैं पर पुरातत्व विभाग के अधिकारी गार्ड के नियुक्ति का पैसा कागजों में भरकर निरंतर गोलमेल कर रहे हैं ,पर धरातल में उन इमारतों के इर्द-गिर्द तक एक गार्ड नजर नहीं आता है चाहे वह महोबा शहर अंदर मदन सागर के बीच में बना खकरा मठ हो चाहे मकरबई में मठ हो चाहे उरवारा में बना मंदिर हो ऐसे लगभग जिले में 30 से 35 मठ और मंदिर पुरातत्व विभाग के अंडर पर है पर महोबा जिले में बैठे पुरातत्व अधिकारी किस तरीके से इन इमारतों के रखरखाव में खानापूर्ति कागजों में कर रहे हैं और प्रशासन से आए हुए धन को किस तरीके से बंदरबांट कर रहे हैं जिसकी बांगी सूर्य मंदिर और खकरा मठ में देखने को मिल जाएगी*

*वही हम आपको बता दें कि नगरपालिका के द्वारा पुरातत्व विभाग कीरत सागर तालाब की जमीन जो पुरातत्व विभाग के अंडर पर आती है पर उस जमीन का उपयोग और नाव ठेका नगर पालिका द्वारा उठाकर निरंतर उसका उपयोग कर रही है वही पुरातत्व विभाग मूकदर्शक बना 2 वर्ष से लगातार देख रहा है और तो और* *पुरातत्व विभाग अपनी गाइडलाइन से भटकता नजर आ रहा है* *क्योंकि विभाग की* *गाइडलाइन में स्पष्ट लिखा हुआ है की पुरातत्व विभाग की 200 मीटर जमीन के इर्द-गिर्द किसी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता…बगैर पुरातत्व विभाग की सहमति से किसी के भी द्वारा, पर इसके उलट महोबा जिले के आला अधिकारी के निर्देशों से पुरातत्व विभाग की जमीन पर 200 मीटर की परिधि में पीडब्ल्यूडी द्वारा लाखों रुपया की बाउंड्री वॉल निर्माण कराई जा रही है*

*वहीं हम आपको बता दें कि पूर्व जिला अधिकारी के द्वारा भी ऐतिहासिक खकरा मठ को सजाने और संवारने का काम किया गया था पर उसमें भी लाखों रुपया खर्च* *नगर पालिका के द्वारा कर दिया गया जो आज भी अधूरा पड़ा हुआ है…
और तो और आम जनमानस में चर्चा का विषय बना हुआ है वही उस वक्त पुरातत्व विभाग कुंभकरणी निंद्रा में मूक दर्शक बना* *तमाशा देखता रहा और आज भी सूर्य मंदिर के 200 मीटर की परिधि में निर्माण कार्य चल रहा और पुरातत्व विभाग मूक दर्शक बना तमाशा देख रहा है*

*सूर्य मंदिर के काम को लेकर नगर पालिका अधिशासी अधिकारी से जब हमारी वार्ता लाभ हुई तो उन्होंने बाउंड्री वॉल निर्माण कराए जाने की बात पीडब्ल्यूडी के माध्यम से बताइए*

*अब देखने वाली बात यह होगी आने वाले समय में सूर्य मंदिर पर्यटन के हब के रूप विकसित हो पाता है या नहीं…! ¡

*ब्यूरो रिपोर्ट खबर महोबा…!!!!!

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