भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वह एक विचारक और विद्वान के रूप में काफी प्रसिद्ध थे। वह अपनी नम्रता कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गांव में हुआ था। उन्होंने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की 1952 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री हासिल की; इसके बाद 1962 में उन्होंनेऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी फिल किया उन्होंने अपनी पुस्तक भारत में निर्यात और आत्मनिर्भरता और विकास की संभावनाएं में भारत में निर्यात आधारित व्यापार नीति की आलोचना की थी। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षक के रूप में कार्य किया। जो उनकी एकेडमिक श्रेष्ठता दिखाता है इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्या और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षक के रूप में कार्य किया इसी बीच में कुछ वर्षों के लिए उन्होंने यूएन सटी एडी सचिवालय के लिए भी काम किया इसी के आधार पर उन्होने 1987 और 1990 में जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया।
1971 में डॉक मनमोहन सिंह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए 1972 में उनकी नियुक्ति वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में हुई उन्होंने वित्त मंत्रालय के सचिव चिव योचना आयोग के उपाध्यक्ष भारतीय रिजर्व बैंक के अध्यक्ष प्रधानमंत्री के सलाहकार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 16 नवंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे उनके कार्यकाल के दौरान बैंकी क्षेत्र से संबंधित व्यापक कानूनी सुधार किए गए और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में एक नया अध्याय जोड़ा गया और शहरी बैंक विभाग की स्थापना की गई आरबीआई में अपने कार्यकाल के बाद उन्होंने वित्त मंत्री नियुक्त होने से पहले कई पदों पर काम किया वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल इस तथ्य के लिए उल्लेखनीय था कि उन्होंने भारत में उदारीकरण और व्यापक सुधारों की शुरुआत की डॉ मनमोहन सिंह ने 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया जो स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में एक निर्णायक समय था आर्थिक सुधारों के लिए व्यापक नीति के निर्धारण में उनकी भूमिका को सभी ने सराहा है। भारत में इन वर्षों को उनके व्यक्तित्व के अभिन्न अंग के रूप में जाना जाता है पूर्व प्रधानमंत्री को मिले कई पुरस्कारों और सम्मान में से सबसे प्रमुख सम्मान है। भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पदम विभूषण जो कि उन्हें 197 में दिया गया था भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहर नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार जो कि 1995 में दिया गया था वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड 1993 और 1994 वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड जो कि 1993 में दिया गया था।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय 1956 का एडम स्मिथ पुरस्कार कैंब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार 1955 में उनको जापानी नि होन किजई शिंबुन एवं अन्य संघों की तरफ से सम्मानित किया जा चुका है डॉक्टर मनमोहन सिंह को कैंब्रिज एवं ऑक्सफोर्ड और अन्य कई विश्वविद्यालयों की तरफ से मानद उपाधियां प्रदान की गई हैं पूर्व प्रधानमंत्री डॉक मनमोहन सिंह ने कई अंतर राष्ट्रीय संगठनों और सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है उन्होंने 1993 में साइप्रस में राष्ट्र मंडल प्रमुखों की बैठक में और वियना में मानवाधिकार पर हुए विश्व सम्मेलन भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया है अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने 1991 से भारतीय संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा के सदस्य रहे। जहां वे 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता थे वहीं डॉ मनमोहन सिंह ने 2004 के आम चुनाव के बाद 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और 22 मई 2009 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। खबर महोबा न्यूज़