कीचड़ युक्त पानी को पल्लू से छानकर काम चलाने को मजबूर महिलाये

महोबा – 

कुलपहाड़ तहसील के अंतर्गत आने वाला आबादी बाहुल्य ग्राम मुढारी जो हमेशा पानी की दशा और दुर्दशा के लिए सुर्खियों में छाया रहता है। बीते पंद्रह दिनों से फिर वहीं स्थिति दोहराने लगी है। क्योंकि अधिकारी अपनी कार्यशैली एवं मनमानी पर इतने आमादा है कि इनको जो करना सो करना भले ही जनता आंसू बहाने के लिए त्रस्त क्यों ना हो जाये यही हाल जल निगम के जेई सन्देश तोमर जी का है क्योंकि लगातार इनको आठ दिन से फोन किया जा रहा लेकिन आज तक फोन रिसीव नहीं हुआ ना ही जैतपुर फ़िल्टर में पंद्रह दिन से फुकी पड़ी मोटर को बदलवाया गया जिससे गांव के वाशिंदे बूँद – बूँद पानी को मोहताज हो गये है। यहाँ तक कि हालात बद से बत्तर होते जा रहे है क्योंकि हैंडपम्प ड्राई हो गये और कुओं ने पानी देना पूर्णतः बंद कर दिया अब ऐसे हालातों में महिलाये कीचड़ युक्त पानी को कुएं से निकाल कर अपने पल्लू से छानकर भर कर काम चलाने को मजबूर है। चौकाने वाला दृश्य तो यह देखा गया कि 87 वर्षीय बुजुर्ग महिला कुएं से पानी निकालने के लिए विवश हो गई क्योंकि पानी की परेशानी के चलते उसका पूरा परिवार दिल्ली में मजदूरी के लिए जा बसा वहीं बेज़ुबान जानवर प्यास से तड़पते नजर आ रहे है।ग्रामवासियो के लिए अब कोई भी पानी का विकल्प दिखाई नहीं दे रहा जिसके चलते लोगों को तीन से चार किलोमीटर दूर पानी की जुगाड़ में चक्कर काटने पड़ रहे और तो और मुहल्ले वाले चंदा जोड़कर टेंकर मगाने का इंतजाम करते है। ग्रामवासी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियो से खासे नाराज है।लोगों की नाराजगी भी जायज है क्योंकि मण्डलायुक्त व जिलाधिकारी महोदय के कुछ दिनों पहले मुढारी के क्रीड़ा स्थल में हुई खुली बैठक में शिकायतों का निस्तारण कर रहे थे तभी ग्रामीणों पानी व सड़क के लिए शिकायती प्रार्थना पत्र सौपे थे लेकिन इसके बाद भी उनके आदेशों को अधिकारियो ने दरकिनार कर दिया और मुढारी गांव में पानी के विकराल रूप ने त्राहि – त्राहि का संकट खड़ा कर दिया। जिसके चलते गांव की माताएँ, बहिने, बच्चें, बुजुर्ग आदि सभी पूरी – पूरी रात पानी के लिए जगराता करने के लिए मजबूर व विवश हो रही है।

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