KHABAR MAHOBA Newsश्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर पूरे देश में भव्य उत्सव का आयोजन किया जा रहा है….
भगवान श्री कृष्ण,, “महाराज जी सूरसेन के पुत्र वसुदेव एवं महाराज उग्रसेन की पुत्री देवकी की आठवीं संतान हैं”…
जब वसुदेव और देवकी का शुभ विवाह हुआ तो कंस अपनी बहन को ससुराल छोड़ने के लिए स्वयं सारथी बना… जब वह अति प्रसन्नता के साथ आगे बढ़ा रहा था तो अचानक आकाशवाणी हुई,-” हे कंस जिस बहन को तू इतनी प्रसन्नता के साथ विदा करने जा रहा है उस की आठवीं संतान तेरा काल होगा” इस घटना से क्षुब्ध होकर कंस ने दोनों को बंदी बना कारागार में डाल दिया…!!!
कालांतर में देवकी को आठवां गर्भ आया और भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मध्य रात्रि में श्री कृष्ण का जन्म हुआ…
इस प्रकार समय के साथ श्री कृष्णा ने कंस के अनेकानेक राक्षसों का वध कर अपने माता पिता को बंधन से मुक्त कराया….
नर तथा नारायण के मेल से ऋषियों तथा साधु जनों ने श्री कृष्ण को भगवान की उपाधि दी इस कारण समस्त ब्रह्मांड श्री कृष्ण को भगवान स्वरूप पूजते हैं और उन्हीं के जन्मदिवस पर उनका पूजन और व्रत का अनुष्ठान करते हैं,…!!!
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@। श्री कृष्ण जन्म स्तुति।@
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भये प्रगट गोपाला दीनदयाला यशुमति के हितकारी।
हर्षित महतारी सुर मुनि हारी मोहन मदन मुरारी ॥
कंसासुर जाना मन अनुमाना पूतना वेगी पठाई।
तेहि हर्षित धाई मन मुस्काई गयी जहाँ यदुराई॥
तब जाय उठायो हृदय लगायो पयोधर मुख मे दीन्हा।
तब कृष्ण कन्हाई मन मुस्काई प्राण तासु हर लीन्हा॥
जब इन्द्र रिसायो मेघ पठायो बस ताहि मुरारी।
गौअन हितकारी सुर मुनि हारी नख पर गिरिवर धारी॥
कन्सासुर मारो अति हँकारो बत्सासुर संघारो।
बक्कासुर आयो बहुत डरायो ताक़र बदन बिडारो॥
तेहि अतिथि न जानी प्रभु चक्रपाणि ताहिं दियो निज शोका।
ब्रह्मा शिव आये अति सुख पाये मगन भये गये लोका॥
यह छन्द अनूपा है रस रूपा जो नर याको गावै।
तेहि सम नहि कोई त्रिभुवन सोयी मन वांछित फल पावै॥
नंद यशोदा तप कियो , मोहन सो मन लाय।
देखन चाहत बाल सुख , रहो कछुक दिन जाय॥
जेहि नक्षत्र मोहन भये ,सो नक्षत्र बड़िआय।
चार बधाई रीति सो , करत यशोदा माय॥
ब्यूरो रिपोर्ट
खबर महोबा