KHABAR MAHOBA News
हमारी आत्मा में मन विचार शक्ति है ,परंतु यह चलायमान और अनिर्णयात्मक है।बुद्धि आत्मा की निर्णय शक्ति है,जो अनुभव,विवेक एवम ज्ञान युक्त होती है।
बुद्धि सही निर्णय करे मन पर नियंत्रण रख सके उसके लिए बुद्धि का योग सर्वोच्च सत्ता परमात्मा से करना आवश्यक है।
तभी बुद्धि की शुद्धि और सशक्तिकरण संभव है l
इस प्रकार आध्यात्म की साधना छोटे बड़े हर मानव मात्र के लिए आवश्यक है।
इसके माध्यम से ही एक प्रशासक अपने मन को एकाग्र कर सकता है,जीवन चर्या को संयमित और अनुशासित रख सकता है। दूसरे शब्दों में “स्वशासन ही सुप्रशासन का आधार है।”
राजयोगी श्रीप्रकाश जी ने कहा कि प्रशासन में प्रेम और नियम का संतुलन चाहिए।बलपूर्वक नियमों का सदा पालन नहीं कराया जा सकता। ऐसी स्थिति में प्रशासक के प्रति शासितों और अधिनस्थों के मन में श्रद्धा और सम्मान भावना घट जाती है।
अतः एक कुशल नेतृत्व करने वाला व श्रेष्ठ प्रशासक वही है,जो सबको साथ लेकर चले ,छोटे बड़े सभी को स्नेह और सम्मान दे।स्नेह की शक्ति से आप किसी से भी कार्य करा सकते हैं,परंतु बलपूर्वक नहीं।
उन्होंने कहा कि प्रशासन तंत्र में परस्पर सहयोग और समन्वय की कमी के कारण ही कार्यों में बिलंब होता है।अहम भाव और टकराव के कारण अंतर्व्यक्तिक संबंध भी खराब होते हैं।जिससे मन में तनाव,क्रोध ,ईर्ष्या ,घृणा आदि दुर्भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं।
यह तनाव व क्रोध आत्मा की ऊर्जा को क्षीण करता है,निर्णय क्षमता घटती जाती है ,थोड़ा कार्य करके भी व्यक्ति थक जाता है।
कार्य स्थल का तनाव घर और परिवार पर भी असर डालता है।
इसलिए एक प्रशासक आध्यात्म और राजयोग से मन को शांत ,शीतल रखकर संबंध मधुर बना सकता है।सबके प्रति समभाव रखकर सबको संतुष्ट कर सकता है, व सबसे न्याय कर सकता है।
कुशल प्रशासक वही है, जो सबकी बात सुनने वाला,नम्र,मिलनसार और दया करुणा भाव रखने वाला हो।यह नैतिक मूल्य या सद्गुण जीवन में तभी आते हैं,जब हम उच्च पद धारी होने का अहम त्याग कर स्वयं को ईश्वर द्वारा नियुक्त सेवाधारी समझ सबकी समस्याओं का हल करते हैं।
कार्यक्रम की मुख्य आयोजक व अध्यक्षा,महोबा क्षेत्र की संचालिका, राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सुधा जी ने कहा कि राजयोग अभ्यास जीवन को नम्रता,मधुरता,सहनशीलता आदि दिव्य गुणों और निर्णय शक्ति,परख शक्ति ,सामने की शक्ति ,सहयोग शक्ति आदि अष्ट शक्तियों से संपन्न बना देता है,परंतु इसके लिए सर्वप्रथम स्वयं को आत्मा निश्चय कर,सर्वशक्तिवान ईश्वर की सत्य अनुभूति करना आवश्यक है।
ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रत्येक केंद्र पर राजयोग की यह शिक्षा निःशुल्क दी जाती है।जिसका आप सभी को अवश्य लाभ लेना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ,माननीय जिलाधिकारी महोदय श्री मनोज कुमार जी ने कहा कि विज्ञान सुख साधन उपलब्ध कराता है,परंतु जब व्यक्ति भोगवाद से ऊपर उठकर सोचता है,तभी उसमें ज्ञान के प्रति उत्कंठा पैदा होती है।
उन्होंने कहा कि हमें ज्ञान से अंतर जगत और स्वयं की खोज करनी चाहिए,तभी हम जीवन के यथार्थ उद्देश्य की पूर्ति कर पाएंगे।
तत्पश्चात आदरणीय जिलाधिकारी महोदय ने राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सुधा जी एवम वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार श्रीप्रकाश जी का शाल ओढ़ाकर एवम सूर्य मंदिर की प्रतिकृति देकर सम्मान किया।
बाद में ब्रह्माकुमारी सुधा बहन जी ने जिलाधिकारी श्री मनोज कुमार जी को भी शाल ओढ़ाकर और चित्र व साहित्य भेंट कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम का लाभ लगभग 100 वरिष्ठ प्रशासकों ,प्रबंधकों ,कॉलेज के प्राचार्य,प्राध्यापक गण,अभियंता एवम मुख्य चिकित्सा अधिकारी आदि ने लिया जिन्हें ईश्वरीय साहित्य,चित्र एवम प्रसाद आदि देकर सम्मानित किया गया। मुख्य रुप से आयोजन में सर्व श्री सुरेश कुमार वर्मा ,ए डी एम,श्री रामप्रकाश पांडे,उपायुक्त,व्यापार कर ,श्री अभय कुमार यादव,उपनिदेशक,कृषि,श्री बालगोविंद शुक्ला,जिला विकास अधिकारी,श्री प्रमय आलोक , बी डी ओ ,जैतपुर,महोबा,श्री मुकेश त्यागी, अधिशाषी अभियंता, ई टी डी,हमीरपुर,श्री राजीव रंजन, एस डी ओ ,ई टी एस डी,महोबा,श्री प्रवीण कुमार , एस डी ओ, 220 के वी,उपकेंद्र,बजरिया,श्री सुशील कुमार,प्राचार्य,वीर भूमि,महाविद्यालय, डॉक्टर ज्योति सिंह,प्राचार्य, मां चंद्रिका महिला महाविद्यालय,डॉक्टर श्री ओमप्रकाश तिवारी,मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, श्री राममूर्ति,जिला सेवा योजना अधिकारी,श्री हर्षवर्धन नायक,दिव्यांग जन सशक्तिकरण अधिकारी,श्री महेंद्र सिंह,श्रम अधिकारी उपस्थित रहे।
सम्मेलन के उपरांत जिलाधिकारी सहित सभी अधिकारियों ने संस्थान के सभागार में सुसज्जित देवियों की चैतन्य झांकी का दर्शन एवम आरती भी की।अंत सभी को स्वल्पाहार कराया गया।
ब्यूरो रिपोर्ट खबर महोबा
खबरों और विज्ञापन के लिए संपर्क करें
नीरज राजपूत-8009072450, 9695981028
दिनेश राजपूत-9005967662