छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन और बलिदान पर आधारित फिल्म छावा सिनेमाघरों में दर्शकों के दिलों को झकझोरने में सफल रही है। इस फिल्म के अंतिम 20 मिनट इतने भावनात्मक हैं कि दर्शकों की आंखें नम हो जाती हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद मराठा साम्राज्य को पुनः अपने पैरों पर खड़ा करने वाले छत्रपति संभाजी महाराज की संघर्षगाथा इस फिल्म का केंद्रबिंदु है।

कहानी और प्रेरणा
यह फिल्म शिवाजी गोविंद सावंत की प्रसिद्ध पुस्तक छावा से प्रेरित है, जो छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है। उनके जीवन का सफर चुनौतियों से भरा था—एक ओर अपने पिता की विरासत को संभालने की जिम्मेदारी थी, और दूसरी ओर मुगलों से लगातार संघर्ष। इस संघर्ष में सबसे बड़ा शत्रु औरंगजेब था, जो छल-कपट और शक्ति के बल पर मराठा साम्राज्य को कुचलना चाहता था। लेकिन संभाजी महाराज अपने पिता के गौरव को न केवल बनाए रखते हैं, बल्कि उसे और भी ऊंचाइयों तक पहुंचाते हैं।
अद्भुत अभिनय और निर्देशन
विक्की कौशल ने छत्रपति संभाजी महाराज की भूमिका में जान डाल दी है। उनका अभिनय प्रभावशाली और ऊर्जा से भरपूर है। यह उनकी अब तक की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस मानी जा सकती है। अक्षय खन्ना ने औरंगजेब के किरदार में अपनी सधी हुई अदाकारी का प्रदर्शन किया है। उनकी आंखों की गहराई और संवाद अदायगी दर्शकों को उनकी मौजूदगी का अहसास कराती है। रश्मिका मंदाना ने संभाजी महाराज की पत्नी यशुबाई के किरदार को आत्मीयता और सशक्त भावनाओं से निभाया है, जो इस तरह की फिल्मों में महिला किरदारों के लिए एक मिसाल बन सकता है।
संगीत और सिनेमैटोग्राफी
ए.आर. रहमान का संगीत फिल्म की आत्मा को जीवंत बनाता है। जब-जब फिल्म में उनका संगीत बजता है, वह दृश्यों को और भी प्रभावशाली बना देता है। सिनेमैटोग्राफी का स्तर भी उच्च कोटि का है, जो मराठा साम्राज्य के गौरवशाली अतीत को बड़े पर्दे पर भव्यता से उकेरता है। युद्ध के दृश्य और अंतिम बलिदान को जिस संवेदनशीलता से फिल्माया गया है, वह अविस्मरणीय बन जाता है।
एक्शन और ऐतिहासिक विश्वसनीयता
फिल्म के एक्शन सीक्वेंस दमदार हैं और ऐतिहासिक रूप से सटीक लगते हैं। निर्देशक ने युद्ध दृश्यों को इस तरह फिल्माया है कि दर्शक इतिहास के उन पलों को महसूस कर सकते हैं। फिल्म का क्लाइमैक्स खासतौर पर रोंगटे खड़े कर देने वाला है।
निष्कर्ष
छावा केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक श्रद्धांजलि है। यह फिल्म छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी महाराज की वीरता को नमन करती है और हिंदवी स्वराज की भावना को जीवंत रखती है। यदि आप ऐतिहासिक फिल्मों और वीर गाथाओं में रुचि रखते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए अवश्य देखने योग्य है।
रेटिंग: 4.5/5
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