अधिकारी और कर्मचारी कुंभकरणी नींद पर

By FREE THINKER Nov 20, 2021

स्वच्छ भारत मिशन की उड़ाई जा रही हैं धज्जियां

पाठा, चरखारी। महोबा जिला के चरखारी ब्लॉक के ग्राम पंचायत पाठा की मैन सड़क कई सालों से कीचड़ और जलभराव से भरी पड़ी है। इससे निकलने पर ग्राम वासियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। बाहर से  आए हुऐ राहगीरों को सड़क पर निकलने से भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

कई बार वहां एक्सीडेंट भी हो चुके हैं। बच्चों को स्कूल जाने में भी पानी से चलकर निकलकर  पड़ता है।  तीन पहिया और चार पहिया वाहन मौत से चलकर निकलता है। कई बार उच्च अधिकारियों और जिम्मेदारों को भी कई बार सूचना  दी जा चुकी है पर वह भी अनदेखी कर रहे हैं। एक तरफ भारत सरकार स्वच्छ भारत मिशन की बात करती है और भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा स्वच्छ भारत मिशन चलाया जा रहा है, पर इस गांव पर किसी भी रास्ता पर स्वच्छ भारत मिशन नजर नहीं आ रहा। सरकार स्वच्छता के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करती है पर जिम्मेदार और उच्च अधिकारी, सारा पैसा हजम कर रहे हैं। 

सरकार के सपने पर पानी फेरते हुए नजर आ रहे हैं, सरकार की स्वच्छ भारत मिशन की ग्राम पंचायत पाठा पर उड़ाई जा रही हैं धज्जियां, अधिकारी और कर्मचारी तथा जिम्मेदार भी कुंभकरणी  नींद पर हैं, इसमें कोई शक नहीं।

KHABAR MAHOBA NEWS

देवेंद्र राठौर

प्रतियोगिताएं आयोजित

मतदाता पुनरीक्षण अभियान अंतर्गत स्वीप कार्यक्रम के तहत जिले के समस्त स्कूल व कॉलेजों में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित कर लोगों को अपना वोट बनवाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

अपील छूटे हुए सभी मतदाता अपना वोट बनवाएं।

सम्पूर्ण_समाधान_दिवस 

तहसील महोबा सदर में आयोजित जिला स्तरीय  #सम्पूर्ण_समाधान_दिवस के अवसर पर एसपी व अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में जन समस्याएं सुनीं गयीं।सम्बन्धित अधिकारियों को शिकायतों का निस्तारण करने हेतु आवश्यक दिशा- निर्देश दिए गए।

कहानी अपाहिज परिंदा

एक बहुत ही पहुंचे हुए संत थे। एक दिन उनके पास एक व्यापारी आया औऱ बोला कि महाराज,मैं धन कमाने के उद्देश्य से परदेश जा रहा हूँ, आपका आशीर्वाद लेने आया हूँ। संत ने उस व्यक्ति को बहुत सारी दुआयें दी औऱ वो व्यापारी व्यापार के उद्देश्य से निकल पड़ा।

लेकिन तीन चार दिन बाद ही संत से उस व्यापारी की फ़िर मुलाकात हो गई।उन्होंने पूछा कि आप तो व्यापार यात्रा के लिए परदेश निकल पड़े थे, तो इतनी जल्दी कैसे लौट आए?

व्यापारी ने जवाब दिया कि मैं छह महीने की सफ़र पर घर से निकला था, लेकिन रास्ते में आराम करते वक़्त मैंने एक अजीब सी ईमान जगाने वाली घटना देखी। जिस पेड़ के नीचे मैं आराम कर रहा था,उस पेड़ पर एक अपाहिज परिंदा था। मैंने थोड़ी देर बाद देखा कि एक और परिंदा आता है और उसे दाना खिलाकर उड़ जाता है, वो परिंदा फ़िर आता है और पुनः ऐसा ही कर उड़ जाता है।उसके बाद भगवान के प्रति मेरा विश्वास बढ़ गया, क्योंकि जो ईश्वर इस वीरान जंगल में इस अपाहिज परिंदे के खाने का इंतज़ाम कर सकता है, वो कैसे मेरे लिए घर बैठे नहीं कर सकता….इसलिए मैंने परदेश न जाने की सोची ?

संत ने मुस्कुराते हुए कहा… ′′ दुख की बात ये है कि आपने अपाहिज परिंदा बनना पसंद किया, लेकिन ऐसा परिंदा बनना नहीं जो कड़ी मेहनत से अपनी रोज़ी-रोटी की तलाश कर रहा था और साथ ही साथ दूसरे लाचार परिंदे का भी पेट भर रहा था। इस दुनिया में बहुत से ऐसे बेबस औऱ लाचार लोग हैं जिन्हें मदद की जरुरत है।प्रयास हमेशा मदद देने की रहनी चाहिए लेने की नहीं।

व्यपारी संत के चरणों में गिर गया और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ……..

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