सतारी, महोबा। सरकार की अन्ना पशुओं के आश्रय स्थल की योजना पूरी तरह से फेल साबित हो रही है. मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि हजारों हजार करोड़ खर्च करने के बाद भी किसानों व आमजन को राहत नहीं मिल रही है. हालात ये हैं कि किसान यदि अतिआवश्यक कार्य से महज एक घंटे के लिए खेत छोड़ दे तो उसकी किस्मत में सिवाय अफसोस करने के कुछ भी नहीं रहेगा.योगी सरकार में अन्ना गौवंश का आतंक चरम पर है. किसान खून के आंसू रो रहा है. किसानों का पूरा परिवार ही अन्ना पशुओं से फसलों की सुरक्षा के लिए पालियों में खेत पर ड्यूटी देता है.
अन्ना पशुओं से केवल किसान ही पीड़ित नहीं हैं बल्कि सड़क पर होने वाली तीस फीसदी दुर्घटनाओं का कारण अन्ना पशु है. जिसमें न केवल जन धन की हानि होती है बल्कि पशु भी घायल होकर पीड़ा से गुजरते हैं.कई बार बेजुबान की जान भी चली जाती है.
आज बुन्देलखण्ड के किसानों की जो दशा है उसके तीन ही कारण हैं मौसम का साथ न देना, अन्ना गौवंश और नीलगाय.अगर शीघ्र ही इन समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो वो दिन दूर नहीं जब बुन्देलखण्ड तो होगा लेकिन बुन्देलखण्ड में किसान नहीं होगा
जिससे सड़क पर कोई बड़ा हादसा हो सकता है दूसरी ओर किसान भी बहुत किसानी बहुत परेशान हैं परेशान है यहां का ग्रामीण लोगों का कहना है यहां पर गाय ऐसी ही रोड पर बसेरा कर रही हैं। खेतों में खड़ी फसल भी चौपट कर देती हैं। गांव में बहुत गंदगी पाई गई कोई भी साफ सफाई नहीं होती है। सतारी गांव में है जिसमें बहुत गंदगी है। जगह-जगह जलभराव के कारण यहां गंभीर बीमारी वाले मच्छर भी पैदा हो सकते हैं। महोबा जनपद में ग्रामीणों क्षेत्रों में सफाई ना होने के कारण डेंगू जैसी गंभीर बीमारी उत्पन्न हो रही हैं इसके जिम्मेदार शासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारी हैं।
कचरा भी रोड पर डाला जा रहा है इसमें जिम्मेदार अधिकारी सरकार द्वारा आया धन बंदरबांट कर रहे हैं। गांव के अंदर आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है वहां पर भी बहुत गंदगी है। सेंटर में घास फूस भी बहुत लगी हुई है ऐसा लगता है यहां पर सालों से कोई सफाई नहीं हुई।
गौशाला में 60 अन्ना जानवर पाए गए। बकाया अन्ना जानवर रोड पर घूमने को मजबूर हैं गौशाला में जो गायों को खाने के लिए होदी बनी हुई है। उसमें कोई भी भूसा नहीं पाया गया।