गोवर्धन मेले में आस्था का जनसैलाब
चरखारी के उप जिलाधिकारी पियूष जयसवाल हमेशा ही अपने कर्तव्यों के प्रति संजीदा रहते हैं। जब उन्हें जानकारी हुई कि चरखारी के इतिहास से गोवर्धन मेले में आस्था का जनसैलाब हिलोरे मार रहा है ।तो उन्होंने कोतवाली प्रभारी शशिकुमार पांडे को बुलाकर स्वयं मेला में आये और उन्होंने मेले में तैनात जवान और सुरक्षा में लगे महिला पुलिस के जवान सभी को चेक किया और एक संवेदनशील स्थान पर अपने सिपाहियों को चाक-चौबंद रहने के निर्देश दिए ।हालांकि लाखों की भीड़ में सभी व्यक्तियों पर नजर रखना दूर की कौड़ी है, परंतु गोवर्धन मेला मंदिर में उप जिला अधिकारी व कोतवाली प्रभारी ने इस तरीके से महिला सिपाहियों की किलेबंदी की कि ,जिससे मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी ना हो सके। कोतवाली प्रभारी ने भी मेले में तैनात अपने सभी जवानों को अपने कर्तव्यों का निष्ठा से पालन करने के निर्देश दिए।।
प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम स्थल का निरिक्षण
माननीय प्रधानमंत्री महोदय श्री नरेंद्र मोदी जी के जनपद महोबा आने की तैयारी जोर शोर से चल रही है उनके आगमन व प्रस्तावित कार्यक्रम के संबंध में आयोजन स्थल का IG chitrakoot धाम रेंज बांदा द्वारा कार्यक्रम स्थल का स्थलीय निरीक्षण कर तैयारियों का जायजा लिया गया एवं सभी संबंधित अधिकारियो को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।
उठनी थी डोलियां , उठ रहे जनाजे
राकेश कुमार अग्रवाल द्वारा लिखित
रिश्ता तय होते ही विवाह के पहले युवक युवतियों का आपस में फोन पर घंटों बातें करना अब जानलेवा साबित हो रहा है। सगाई और विवाह के मध्य का अंतराल युवक युवतियों के बीच में प्रगाढ़ता बढ़ाने के बजाए आपसी कलह व द्वंद का विषय बनता जा रहा है। जिसके चलते गुस्से में युवतियां शादी के पहले ही जान दे रही हैं। प्रदेश के महोबा जिले में एक माह में घटी दो ऐसी ही घटनाओं ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। जिसमें मंगेतर की बातों से क्षुब्ध होकर दो युवतियां आत्महत्या कर चुकी हैं।
बदलते वक्त के साथ मोबाइल अब हर किसी के जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन गया है। ऐसे युवक युवती जिनका रिश्ता तय हो गया है एवं रिश्ते को पक्का करने के लिए दोनों परिवारों द्वारा सगाई भी कर दी जाती है। कुछ रिश्तों में सगाई के कुछ समय बाद ही शादी कर दी जाती है जबकि तमाम रिश्तों में शुभ मुहूर्त न होने या फिर अन्य दूसरी अडचनों के कारण शादी कुछ महीनों के लिए टाल दी जाती है। शादी भले टाल दी जाती हो लेकिन सगाई के बाद लड़का व लड़की दोनों को एक दूसरे के बारे में जानने समझने व बातें करने के लिए मोबाइल बड़ा सहारा बन जाता है। सगाई होते ही नंबरों का आदान – प्रदान हो जाता है इसके बाद तो दोनों एक दूसरे से घंटों बातें करते हैं। ये बातें खत्म होने का नाम ही नहीं लेतीं। लेकिन प्यार भरी इन बातों के बीच में ऐसी बातें भी हो जाती हैं जो सामने वाले को चुभ जाती हैं। और इन बातों के परिणाम इतने भयावह हो जाते हैं जिनके बारे में इन युवक – युवतियों केे परिजनों को जो शादी की तैयारियों में व्यस्त होते हैं उन्हें तब पता चलता है जब हादसा घटित हो जाता है।
ऐसी ही घटना महोबा जिले के चरखारी में घटी जहां सगाई के बाद लडका – लड़की आपस में घंटों बातें करते थे। लड़की को मंगेतर द्वारा बातों बातों में मोबाइल पर डांटना इतना नागवार गुजरा कि उसने घर में पंखे पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। जबकि युवती की अगले माह शादी होना थी।
जिले के चरखारी कस्बा के रायनपुर मोहल्ला निवासी बशीर मुहम्मद की बेटी नसीमा परवीन का रिश्ता जिले के अजनर थाना क्षेत्र के ग्राम स्यावन निवासी रज्जाक के बेटे शाहरुख से हुआ था। दोनों की महज पांच हफ्ते पहले सगाई हुई थी। सगाई के बाद नसीमा व शाहरुख फोन पर घंटों बातें करते थे। एक रात बातों – बातों में शाहरुख ने नसीमा को डांट दिया। मोबाइल पर मंगेतर के डाँटने से दुखी नसीमा रात भर कमरे में रोती रही। क्षुब्ध नसीमा ने अगली सुबह सीलिंग फैन से लटककर फांसी लगा जान दे दी।
इस घटना को एक माह भी न बीते थे कि 10 नवम्बर को महोबा जिले के श्रीनगर थाना क्षेत्र के ग्राम चितईयन निवासी शिवनाथ यादव की बेटी अंजना ने मोबाइल पर मंगेतर की किसी बात से खफा होकर घर में फांसी लगाकर जान दे दी। अंजना एक निजी स्कूल में शिक्षिका थी। इसके बावजूद उसके द्वारा उठाया गया यह कदम साबित कर रहा है कि अंजना को मंगेतर की बात से बुरी तरह ठेस लगी होगी। तभी उसने यह कदम उठाया। जिस समय प्रियंका फांसी लगा रही थी उसका छोटा भाई यह सब देख रहा था। वह भाग कर खेत पर काम कर रही मां को लेकर जब तक घर पहुंचा तब तक अंजना की सांसें थम चुकी थीं। दूसरी तरफ अपनी मंगेतर अंजना की मौत की खबर जब उसके होने वाले पति आशीष को मिली तो उसने जहर खा लिया। आशीष को गंभीर अवस्था में मेडीकल कालेज झांसी ले जाया गया है। जहां उसका उपचार चल रहा है।
शादी के पहले ही लड़के लड़की का आपस में झगड़ना और झगड़े का परिणाम इतना भयावह होना यह बडा ही डरावना परिदृश्य है। जो बता रहा है कि बरदाश्त करने का दौर खत्म हो गया है। आप कुछ भी कहते रहें अब ये नहीं चलेगा। उक्त घटनायें साबित कर रही हैं कि हर बात को सहने का दौर अब नहीं रहा। लेकिन जान देना या आत्महत्या कर लेना इस समस्या का समाधान नहीं है। जो बात आपको पसंद न हो उस बात की चर्चा करने से लडकियां मना कर सकती हैं। बेहतर तो यह होगा कि कम बात की जाए। क्योंकि जितनी ज्यादा बातें होंगी कि इन्हीं बातों के बीच में कोई ऐसी बात भी निकल सकती है जो दूसरे साथी की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है। लेन देन , दहेज , माता पिता या परिवार के बारे में कोई कमेंट करना , शादी के पहले प्रेम प्रसंग या चरित्र को लेकर लांछन लगाना ऐसे विषय होते हैं जो आपसी कलह का सबसे बड़ा कारण होते हैं जिनको लेकर अकसर बनी हुई बात बिगड़ जाती है। ऐसा माना जाता है कि युवतियां ज्यादा भावुक होती हैं इसलिए भावनाओं में बहकर वे तरह के कदम भी उठा लेती हैं। जिस घर से चंद दिनों बाद दुल्हन के रूप में बिटिया की डोली उठना हो वहां से यदि उसका जनाजा / अर्थी उठे यह दोनों पक्षों के परिजनों के लिए कितनी पीड़ादायक अवस्था होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। बेहतर तो यही होगा कि सगाई व शादी के समय के वेटिंग पीरियड को अनावश्यक लम्बा न खींचा जाए। दूसरा लड़के लड़कियों को भी अपने दायरों में रहने की जरूरत है। जरूरत इस बात की भी है दोनों लोग यह समझें कि शादी भी एक तरह का एडजस्टमैंट है जिसमें दोनों को थोड़ा बहुत कम्प्रोमाइज तो करना ही पड़ता है। फिर भी यदि ऐसा लगता है कि जिस जगह रिश्ता तय हुआ है वह ठीक नहीं है तो मौत को गले लगाने के बजाए शादी के पहले ही रिश्ते को तोड़ दिया जाए। हर मामले में केवल लड़के को दोषी ठहराने की मानसिकता को भी न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है। रिश्ते तो बनते बिगड़ते रहते हैं। एक जगह अगर रिश्ता टूटता है तो नई जगह रिश्ता जुडता भी है। लेकिन किसी की बात पर जान दे देना ठीक नहीं है। कहते भी हैं कि जान है तो जहान है। दाम्पत्य जीवन शुरु होने के पहले ही जान दे देना क्या ठीक है ? निर्णय लेने से पहले एक बार सोचिए जरूर ।