सपा में गुटबाजी
महोबा। किसी भी पार्टी का कार्यकर्ता पार्टी का जनाधार बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है, लेकिन जब उन्हीं कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जाये तो वही कार्यकर्ता पार्टी के लिये परेशानी भी बन जाते है। ऐसा ही कुछ यहां सपा, जिला कार्याकारिणी में नजर आने लगा है।
जिले में सपा के एक नही तीन-तीन गुट काम कर रहे है और यही गुटबाजी आने वाले विधानसभा चुनाव में सपा के लिये परेशानी बढ़ा सकती है। राजनैतिक जानकारों की माने तो कुछ महीने पहले जिले की सपा एक सूत्र में बंधी नजर आ रही थी। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे सपा में गुटबाजी नजर आने लगी है। यह गुटबाजी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आने से पहले ही नजर आ रही थी, लेकिन जैसे ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ यह गुटबाजी उभर कर सामने आ गयी है। राजनैतिक जानकारों की माने तो वर्तमान समय में सपा जिला कार्याकारिणी में एक नही तीन-तीन गुट नजर आ रहे है और गुटबाजी करने वाले नेता कार्यकर्ताओं को अपने-अपने पाले में खींचने का पूरा प्रयास करने में लगे हुये है। गुटबाजी की हद उस समय पार हो गयी जब राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यक्रम दौरान किसी को तवज्जो दी गयी और किसी को किनारे रखा गया। यह देख सपा के अन्य नेता भी असमंजस की स्थिति में नजर आ रहे है।
वह यह सोचने पर मजबूर हो रहे है कि वह किस नेता के पाले में जाये और किस नेता के पाले में न जाये कुल मिलाकर जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे सपा में गुटबाजी कम होने की बजाय तेज होती जा रही है। राजनैतिक जानकारों का कहना है कि कुछ नेता अपने स्वार्थ साबित करने के लिये गुटबाजी करने में लगे हुये है, तो कुछ नेता पार्टी में महत्वपूर्ण पद पाने के लिये भी गुटबाजी कर रहे है, उन्हें पार्टी प्रत्याशियों की हार-जीत से कोई सरोकार नही है वह तो सिर्फ एक ही मकसद में लगे हुये है कि उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण पद मिल जाये और उनका काम पहले की तरह चलने लगे। लेकिन यह नेताओं की सोच पार्टी को परेशानी में डाल सकती है और आने वाले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी प्रत्याशी भी गुटबाजी का शिकार हो सकते है।
राजनैतिक जानकार यह भी कहते है कि यदि समय रहते हुये सपा के वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा जिले में चल रही गुटबाजी पर ध्यान नही दिया और सभी को एक जुट नही किया तो आने वाले चुनाव में सपा मुसीबत में पड़ सकती है और फिर बाद में सपाईयों को पछतावे के अलावा कुछ नही रह जायेगा। सूत्रों की माने तो वर्तमान समय में सपा में एक नही तीन-तीन गुट नजर आ रहे है और यह गुटबाजी पार्टी के लिये परेशानी का शबब बनती जा रही है। सपा के निष्ठावान कार्यकर्ता भी इस गुटबाजी से परेशान है और वह गुटबाजी समाप्त कराने के लिये वरिष्ठ नेताओं से सम्पर्क करने का प्रयास भी कर रहे है।
नेता जी अभी से महत्वपूर्ण पद का पाल बैठे सपना…
अभी विधानसभा चुनाव सम्पन्न भी नही हुआ लेकिन फिर भी सपा के कुछ नेता पार्टी की सरकार बनने का सपना देख रहे है, वह यह सपना इसलिये देख रहे है कि शायद उन्हें जिले का महत्वपूर्ण पद मिल जाये और वह दोनों हाथों से सत्ता सुख पहले की तरह पुनः प्राप्त कर सके। यही वजह है कि इन नेताओं को पार्टी की नीतियों व सिद्धान्तों से कोई सरोकार नही है इन्हें तो सिर्फ अपना मकसद नजर आ रहा है। पार्टी का जनाधार बढ़ाने व गांव-गांव जाकर जनता को पार्टी से अधिक जोड़ने का काम तनिक भी नही कर रहे लेकिन जिम्मेदार पद हासिल करने का सपना पाल बैठे है।
Aman tiwari